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Right To Default Bail During Lockdown

 COVID-19 प्रकोप के कारण अदालतों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तत्काल मामलों की सुनवाई करने के लिए एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। कानूनी पदानुक्रम के सुचारू संचालन के लिए न्यायालयों के लिए यह महत्वपूर्ण हो गया है कि वह इस संकट के समय के दौरान कार्यशील रहें। हालाँकि न्यायालयों द्वारा उठाए गए उचित उपायों ने वर्तमान समय में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कुछ कानूनी मुद्दों और चुनौतियों को भी जन्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी संकट का संज्ञान लिया भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 23 मार्च, 2020 को वादियों द्वारा याचिका/आवेदन/ मुकदमा/अपील /अन्य सभी कार्यवाही दायर करने के लिए परिसीमा अवधि को बढ़ाने का आदेश दिया था। यह भी कहा गया था कि सामान्य कानून के तहत या विशेष कानून (केंद्रीय और /या राज्य दोनों) के तहत परिसीमा अवधि 15 मार्च 2020 तक विस्तारित होगी। जब तक कि इस संबंध में नया आदेश नहीं आ जाता है। इसके अलावा मद्रास हाईकोर्ट ने सेत्तु बनाम राज्य [i],मामले में आरोपियों को यह कहते हुए जमानत दे दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में विशेष रूप से यह उल्लेख नहीं किया गया है कि जांच पूरी करने के

जानकारी के लिए Lockdown: क्या है धारा 188, जिससे हो सकती है जेल

कोरोनावायरस के कारण पीएम मोदी ने देशभर में लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। इस बीच देशभर में धारा 188 भी लागू रहेगी। जानें क्या हैं इसके नियम।   भारत में तेजी से पांव पसारते कोरोनावायरस पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में 21 दिनों तक लॉकडाउन कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार, 24 मार्च 2020 की रात 12 बजे से लॉकडाउन लागू होने की घोषणा की थी। इसके साथ ही पूरे देश में धारा 188 भी लागू हो गई है। क्या है धारा 188? क्या हैं इसके प्रावधान? किस कानून के तहत लागू किया गया है लॉकडाउन? इसके नियमों का उल्लंघन करने पर क्या हो सकती है कार्रवाई, क्या मिल सकती है सजा? इन सभी सवालों के जवाब आपको यहां बताए जा रहे हैं। सबसे पहले जान लें कि कोरोनावयारस से लड़ने के लिए लॉकडाउन की घोषणा महामारी कानून ( Epidemic Diseases Act, 1897) के तहत लागू किया गया है। इसी कानून में प्रावधान किया गया है कि अगर लॉकडाउन में सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का कोई व्यक्ति उल्लंघन करता है, तो उस पर भारतीय दंड संहिता (IPC - Indian Penal Code) की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। क्या है IPC Secion 18

CRPC की धारा 144 का उल्लंघन करने पर IPC की धारा 188 के तहत FIR क्यों होती है

CRPC की धारा 144 का उल्लंघन करने पर IPC की धारा 188 के तहत FIR क्यों होती है ====================================== हम देख रहे हैं कि केंद्र और तमाम राज्य सरकारें, किस प्रकार इस महामारी को लेकर गंभीर कदम उठाने पर मजबूर हो रही हैं। लॉकडाउन से लेकर दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CRPC) की धारा 144 लागू करने तक, सरकारों द्वारा इस वायरस के प्रकोप पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में हम ने देखा कि 23 मार्च से ही देश के तमाम जगहों पर CRPC धारा 144 को लागू कर दिया गया। मौजूदा लेख में हम यह जानेंगे कि आखिर क्यों, CRPC की धारा 144 का उल्लंघन करने पर स्वाभाविक परिणाम, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 धारा 188 के अंतर्गत मुक़दमे का चलना होता है। इसके अलावा, इनके मध्य क्या सम्बन्ध है, हम वह भी मौजूदा लेख में समझेंगे।    क्‍या है दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144?  दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) की धारा 144 एक ‌‌डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, सब-‌डी‌विजनल मजिस्ट्रेट या किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को राज्य सरकार की ओर से किसी विशेष स्‍थान या क्षेत्र में एक व्यक्ति या आम जनता क

Legal Position of Arrest

*Arrest* A person may be arrested for committing an alleged offence. The right to liberty as envisaged by the constitution is safeguarded by various procedures to be followed by the Police.   ARREST WITHOUT WARRANT Any police officer may without an order from a magistrate and without a warrant, arrest any person Who has been concerned in any cognizable offence like murder, causing hurt, kidnapping etc, or against whom a reasonable complaint has been made, or credible information has been received, or a reasonable suspicion exists, of his having been so concerned; orWho has in his possession without lawful excuse, the burden of proving which excuse shall lie on such person, any implement of house-breaking, orWho has been proclaimed as an offender either under this Code or by order of the State Government; orWho is in whose possession anything is found which may reasonably be suspected to be stolen property and who may reasonably be suspected of having committed an offence with reference