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What is a moot court ?

Specially For Law Student   What is a moot court ? Artificial courts for the law students are called moot courts in general language. It is a kind of a debate on the specific case decided by the court or specific subject or issue or an imaginary case prepared for this purpose. It is an extracurricular activity organized at many law colleges in which students take part in mock court proceedings that involve drafting memorials and speaking at oral argument. It is a great method of learning law and legal skills that require the students to analyze and argue both sides of a hypothetical legal issue using procedures. Mooting is considered a specific form of stimulation in which students are asked to argue points of law before a stimulated court. Moot court, however, does not involve actual testimony by witnesses or the presentation of evidence, but is based solely on the application of law to a fabricated legal issue. The Moot problem is designed to argue before the appellate form because i

Family Court Can Restore Application U/S 125 Cr.P.C After Its Dismissal For Default: Orissa High Court

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  The Orissa High Court has held that the Family Courts possess the 'inherent power' to  restore a Section 125 CrPC application dismissed earlier for non-prosecution. While holding so, a Single Bench of  Justice Radha Krishna Pattanaik  observed,  "When a proceeding of maintenance is dismissed on account of default and if it is claimed that the court lacks jurisdiction to restore it in absence of any provision, how it could have been dismissed for non-prosecution, again for having no provision in the Cr.P.C. According to the Court since such is action is predominantly civil in nature, the power to restore a proceeding under Section 125 Cr. P.C. is inherent."  Factual Background: The wife filed an application under Section 125 Cr.P.C. in the Family Court, which was subsequently dismissed for default for non-appearance and non-prosecution. A restoration application was filed in terms of Section 126 Cr.P.C. Then, the husband was summoned and on his appearance, he filed a

Advocates are officers of the court

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 Advocates are officers of the court  वकीलों को न्यायालय का अधिकारी कहा गया है, यह एक पवित्र पेशा है। कानून ने वकीलों के लिए कुछ कार्य प्रतिबंधित किये हैं जो उन्हें वकालत की सनद मिलने के बाद नहीं करने चाहिए। न्याय प्रशासन एक प्रवाह है। इसे स्वच्छ, शुद्ध एवं प्रदूषण मुक्त रखा जाना आवश्यक है। यह बार एवं बैंच दोनों का दायित्व है कि वे न्याय प्रशासन की पवित्रता को बनाये रखें। अधिवक्ताओं से ऐसे आचरण की अपेक्षा की जाती है कि उनकी सत्यनिष्ठा पर कोई अंगुलि न उठा सकें।" भारत के उच्चतम न्यायालय Supreme Court  द्वारा अपने एक वाद में भी वकीलों के लिए प्रतिबंधित कार्य निर्धारित किये गए हैं। वकीलों की अपनी एक 'आचार संहिता' (Code of Conduct) है। कई कार्य ऐसे हैं जो वकीलों द्वारा किये जाने चाहिये और कई ऐसे हैं जिनका किया जाना वकीलों के लिए निषिद्ध है। ऐसे निषिद्ध कार्य निम्नांकित है- 1- निर्धारित योग्यता धारण किये बिना वकालत नहीं करना विधि व्यवसाय (वकालत) केवल वे ही व्यक्ति कर सकते हैं जो इसके लिए पात्र हो अर्थात् अर्हता रखते हों। निर्धारित योग्यता धारण किये बिना विधि व्यवसाय किया जाना नि

टारगेट किए जाने के डर से जिला जज जमानत नहीं दे रहे: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

टारगेट किए जाने के डर से जिला जज जमानत नहीं दे रहे: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़  ====+====+====+====+==== भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ डी वाई चंद्रचूड़ ने न्यायिक प्रणाली में जिला न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की। सीजेआई ने शनिवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में बोलते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जिला न्यायपालिका और हाईकोर्ट के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के बीच समानता की भावना होनी चाहिए।        सभा को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला न्यायपालिका आम नागरिकों के साथ इंटरफेस का पहला बिंदु है और यह देश की न्यायपालिका के मामलों में उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के संबंध में। निशाना बनाने के डर से डिस्ट्रिक्ट जज जमानत नहीं दे रहे; इससे हाईकोर्ट में जमानत आवेदनों की बाढ़ आ जाती है एक मजबूत जिला न्यायपालिका की आवश्यकता को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि "जिस तरह से हम जिला न्यायपालिका को देखते हैं, वह नागरिकों के रूप में हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता को गहराई स

भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप अपराध नहीं

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लिव-इन-रिलेशनशिप अपराध नहीं लगभग पांच वर्ष पूर्व से भारत लिव इन रिलेशनशिप की अवधारणा की शुरुवात हुई। दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड के बाद से इन दिनों हर तरफ 'लिव-इन- रिलेशनशिप' की चर्चा सार्वजनिक रूप से हो रही है। पिछले कुछ वर्षों से लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों की तादाद भारत में बढ़ी है, पर वे उनके अधिकारों को लेकर अनजान एवम अनभिज्ञ हैं। इस वजह से उन्हें कई बार ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मैं आज इस लेख के माध्यम से यह बता रहे हैं कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं के क्या-क्या अधिकार है। जो उन्हें प्राप्त हो सकता है। रिलेशनशिप में रहने वाले दंपति को शादीशुदा का दर्जा प्राप्त साथ ही साथ गुजारा भत्ता पाने का अधिकार ==================== हाल ही में भारत के शीर्ष कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहना न तो अपराध है और न ही अनैतिक है। साथ ही साथ लंबे समय तक एक साथ लिव इन में रहने वाले दंपति को शादीशुदा का दर्जा दिया गया है। कोर्ट ने लिव इन पार्टनर और इस रिलेशनशिप से जन्म लेने वाले बच्चों को भी कई अधिकार दिए हैं। लि

भारत में 112 नम्बर क्या है फ़ोन लॉक होने पर भी कैसे कर सकते हैं मदद या बचा सकते हैं किसी कि जान

112 नम्बर क्या है फ़ोन लॉक होने पर भी कैसे कर सकते हैं मदद या बचा सकते हैं किसी कि जान --------------------------------------------------------- भारत का इमर्जेंसी नंबर 112, जान लें इसके बारे में सब कुछ आपातकाल सेवा के लिए अब सिंगल हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया है. अब जब भी आपको मदद की जरूरत हो, आप खतरे में हों या कोई गंभीर रूप से घायल हो गया हो, तो तुरंत 112 नंबर डायल कीजिए. इसके अलावा अगर आपके सामने मारपीट, हत्या, डकैती या हंगामे जैसे गंभीर क्राइम हो रहे हों, तो भी आप 112 पर डायल कर सकते हैं. इससे पहले इन सभी सुविधाओं के लिए अलग-अलग नंबर डायल करने होते थे. पुलिस (100), एंबुलेंस सेवा (108), वुमन हेल्पलाइन नंबर (1090) और फायर स्टेशन (101) जैसे जरूरी नंबरों को अलग-अलग सेव किया करते थे. अब प्रश्न उठता है कि 112 नंबर को ही क्यों सेलेक्ट किया गया। ================================ सबसे पहले साल 1972 में यूरोपियन कॉन्फ्रेंस ऑफ पोस्टल एंड टेलिकम्युनिकेशंस एडमिनिस्ट्रेशंस (CEPT) ने 112 नंबर को इमरजेंसी नंबर के रूप में चुना था. उन दिनों रोटरी टाइप फोन (जिन फोन में नंबर को घुमाकर डायल किया जात

क्या आपके बैंक खाते से अनधिकृत लेन-देन हुआ है ।यदि हां तो जानिए आपका पैसा कैसे वापस मिलेगा❓

अगर हो जाए धोखा तो ये कार्यवाही तुरंत करें  👉1: बैंक ASAP ( जल्द से जल्द )को सूचित करें    पीड़ित को तुरंत बैंक को अपराध की सूचना देनी चाहिए, अधिमानतः 3 कार्य दिवसों के भीतर ताकि बैंक को पीड़ित द्वारा किए गए नुकसान के लिए भुगतान करने के लिए देय राशि।  इसके अलावा, मामले की देयता में भुगतान करने के लिए आप जिस अधिकतम राशि के लिए उत्तरदायी हैं, वह इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस तरह का खाता रखते हैं। ग्राहक की अधिकतम देयता उस स्थिति में जब ग्राहक 4 से 7 दिनों में धोखाधड़ी की रिपोर्ट करता है।   2: चोरी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं    यदि चोरी ऑनलाइन हो गई थी, जैसे कि किसी ने एक ऑनलाइन लेनदेन किया जिसके कारण आपका खाता डेबिट हो गया, तो अपने निकटतम साइबर सेल में शिकायत दर्ज करें।    यदि चोरी एक भौतिक उपकरण के माध्यम से की गई थी, जैसे कि आपका एटीएम कार्ड विवरण, अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें। इसके अलावा, सरकार ने शिकायत दर्ज करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (8691960000) स्थापित किया है। साथ ही, इसके लिए वेब-पेज sachet.rbi.org.in है। ऐसे ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले से बचने क