जानें भारत में महिलाओं के महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार
1-शादीशुदा या अविवाहित महिलाए अपने साथ हो रहे अन्याय, प्रताड़ना, व घरेलू हिंसा के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मामला दर्ज करा सकती है और उसी घर में रहने का अधिकार पा सकती हैं जिसमे वे वर्तमान में रह रही हैं। इस कानून के अंतर्गत घर का बंटवारा कर महिला को उसी घर में रहने का अधिकार प्राप्त हो जाता है और उसे प्रताड़ित करने वालों को सजा का भी प्रावधान है। साथ ही साथ यदि किसी महिला की इच्छा के विरूद्ध उसके पैसे, शेयर्स या बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी के द्वारा किया जा रहा हो तो इस घरेलू हिंसा कानून का सहारा लेकर इसे रोक सकती है। घरेलू हिंसा में महिलाएं खुद पर हो रहे अत्याचार के लिए भी सीधे संबंधित न्यायालय से गुहार लगा सकती है, इसके लिए वकील रखना जरुरी नहीं है। अपनी समस्या के समाधान के लिए पीड़ित महिला स्वयं भी अपना पक्ष रख सकती है या अपने वकील के माध्यम से अर्जी लगा सकती है। 2-विवाहित महिलाओं को बच्चे की कस्टडी और मानसिक/शारीरिक प्रताड़ना का मुआवजा मांगने का भी उसे अधिकार प्राप्त है, इसके लिए वह जिले के कुटुंब न्यायलय में अर्जी लगा सकती है। यदि पति द्वारा बच्चे की कस्टड...