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कॉर्पोरेट घरानों से चंदा लेनें में BJP सबसे आगे

कॉर्पोरेट घरानों से चंदा लेनें में BJP सबसे आगे .................................................................... ADR की रिपोर्ट आपके होश उड़ा देगी नई दिल्ली। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने देश के राजनीतिक पार्टियों के चंदे को लेकर एक रिपोर्ट को जारी की है, जिससे आपके होश उड़ जाएंगे। एडीआर ने फाइनेंशियल ईयर 2012-13 और 2015-16 के बीच राजनीतिक दलों से मिले डाटा के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार कर बताया है कि बीजेपी को अब तक 705.81 करोड़ रुपये तो वहीं, कांग्रेस को 756.77 करोड़ रुपये कॉर्पोरेट घरानों से चंदे के रूप में पैसे मिले है। एडीआर के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सत्ता में लाने के लिए 2,987 कॉर्पोरेट चंदा दिया था। वहीं, कांग्रेस को उस वक्त सिर्फ 167 बिजनेसमैन ने पैसा डोनेट किया। रिपोर्ट्स के अनुसार बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा मिला है, जिसमें रियल स्टेट, माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग, ऑयल एंड पावर, कंस्ट्रक्शन और तमाम बड़े उद्योगपती शामिल है। रिपोर्ट में 5 नेशनल पार्टियों को मिले चंदे का डाटा दिया गया। इनमें बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और सीपीआई शामिल
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पिता के घर रह रही घरेलू हिंसा से पीड़ित पत्नी को भी अलग मकान पाने का हक: कोर्ट

घरेलू हिंसा मामले की पीड़िता को केवल इस आधार पर पति से अलग रहने के लिए मकान के अधिकार से वंचित नहीं जा सकता क्योंकि अपने माता-पिता के घर पर रह रही है। यह टिप्पणी सत्र अदालत ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए की है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने महिला की उस अर्र्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने पति से 12 हजार रुपये महीना मकान किराया दिलाने की मांग की थी। साकेत जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लोकेश कुमार शर्मा ने मजिस्ट्रेट कोर्ट को महिला की अर्जी पर नये सिरे से विचार करने के लिए कहा है। सत्र अदालत ने कहा कि घरेलू हिंसा की पीड़िता के अधिकार की रक्षा को सामाजिक भलाई के तौर पर अदालत को देखना चाहिए। अदालत ने कहा कि अगर महिला अपने सामाजिक स्तर का कोई रिकॉर्ड पेश नहीं कर पाई तो भी अदालत उसके लिए अलग मकान के लिए राशि तय कर सकती है। यह कानून महिलाओं को भूखमरी व बेघर होने से बचाने के लिए व समाज में उनका रहन सहन का स्तर कायम रखने के लिए है। पीड़िता के मुताबिक उसका पति उसे शारीरिक, मानसिक, मौखिक व भावनात्मक तौर पर प्रताड़ित करता था। इसके बाद उसने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत शिक

कॉमरेड अनिरुद्ध के निधन पर शोक सभा का आयोजन

कॉमरेड अनिरुद्ध के निधन पर शोक सभा का आयोजन बोकारोः इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर्स, पीपुल्स फॉर जस्टिस, बोकारो एडभोकेट कल्ब व महिला एडभोकेट कल्ब ने संयुक्त रूप से वामपंथी मजदूर नेता कॉमरेड अनिरुद्ध  निधन पर श्रद्धाजंली व्यक्त किया गया। ज्ञात हो कि लंबे बीमारी के बाद उनका निधन बोकारो जेनरल अस्पताल  में  हो गया। इस अवसर पर इंडियन एसोसिएषन ऑफ लॉयर्स के राष्ट्रीय कार्यकारीणी सदस्य अधिवक्ता रणजीत गिरि ने बताया कि 68 वर्षीय कॉमरेड अनिरुद्ध अपने पिछे एक बेटा   व पत्नी को छोड गये है। बोकारो में कॉमरेड अनिरुद्ध के नेतृत्व में कई इतिहासिक मजदूर आंदोलन हुए। बोकारो इस्पात कामगार यूनियन के महामंत्री व एटक नेता कॉमरेड अनिरुद्ध को अधिवक्ताओं ने दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धाजंली अर्पित किया। श्रद्धांजली सभा में अधिवक्ता रंजन कुमार मिश्रा, संजय कुमार प्रसाद, प्रवीण कुमार, फटिक चन्द्र सिंह, विमल कुमार मंडल, बासुदेव महतो, विष्णु प्रसाद नायक, कालीपद मांझी, विरेन्द्र प्रसाद महतो, नरेश महतो, सुनील चांडक, विमल पाल, पुष्पांजली कुमारी, मिन्टी केशरी, बबिता कुमारी, सकीना सिडली, अजीत ठाकुर, अमरेष कुमार, ललन कुमार, ज्य

जेल और बेल के खेल में बढ़ता न्यायिक भ्रष्टाचार

सुप्रीम कोर्ट ने अरनेश कुमार मामले में कहा था कि अगर पुलिस तय प्रक्रिया का पालन नहीं करती तो अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए. ऐसी व्यवस्था को केन्द्र सरकार सभी राज्यों में पुलिस सुधार के माध्यम से क्यों नहीं लागू कराती? जेल और बेल के खेल में बढ़ता न्यायिक भ्रष्टाचार ------------------------------------------------------------------- वर्ष 2015 में देशभर में 12 लाख लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा-41 का विश्लेषण करते हुए वर्ष-2014 में कहा था कि सात साल की सजा वाले मामलों में सिर्फ एफआईआर दर्ज होने पर गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अभियुक्त को छानबीन के लिए तभी गिरफ्तार करना चाहिए, जब दोबारा अपराध की आशंका या गवाहों को धमकाने का अंदेशा हो. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मुकदमों के दौरान हर आरोपी की अदालत में उपस्थिति अनिवार्य नहीं होनी चाहिए तथा बेल मामलों पर अदालत द्वारा उसी दिन सुनवाई होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कृष्णा अय्यर द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार बेल नियम हैं और जेल अपवाद. बढ़ते न्यायिक भ