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भारत में 112 नम्बर क्या है फ़ोन लॉक होने पर भी कैसे कर सकते हैं मदद या बचा सकते हैं किसी कि जान

112 नम्बर क्या है फ़ोन लॉक होने पर भी कैसे कर सकते हैं मदद या बचा सकते हैं किसी कि जान --------------------------------------------------------- भारत का इमर्जेंसी नंबर 112, जान लें इसके बारे में सब कुछ आपातकाल सेवा के लिए अब सिंगल हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया गया है. अब जब भी आपको मदद की जरूरत हो, आप खतरे में हों या कोई गंभीर रूप से घायल हो गया हो, तो तुरंत 112 नंबर डायल कीजिए. इसके अलावा अगर आपके सामने मारपीट, हत्या, डकैती या हंगामे जैसे गंभीर क्राइम हो रहे हों, तो भी आप 112 पर डायल कर सकते हैं. इससे पहले इन सभी सुविधाओं के लिए अलग-अलग नंबर डायल करने होते थे. पुलिस (100), एंबुलेंस सेवा (108), वुमन हेल्पलाइन नंबर (1090) और फायर स्टेशन (101) जैसे जरूरी नंबरों को अलग-अलग सेव किया करते थे. अब प्रश्न उठता है कि 112 नंबर को ही क्यों सेलेक्ट किया गया। ================================ सबसे पहले साल 1972 में यूरोपियन कॉन्फ्रेंस ऑफ पोस्टल एंड टेलिकम्युनिकेशंस एडमिनिस्ट्रेशंस (CEPT) ने 112 नंबर को इमरजेंसी नंबर के रूप में चुना था. उन दिनों रोटरी टाइप फोन (जिन फोन में नंबर को घुमाकर डायल किया जात

क्या आपके बैंक खाते से अनधिकृत लेन-देन हुआ है ।यदि हां तो जानिए आपका पैसा कैसे वापस मिलेगा❓

अगर हो जाए धोखा तो ये कार्यवाही तुरंत करें  👉1: बैंक ASAP ( जल्द से जल्द )को सूचित करें    पीड़ित को तुरंत बैंक को अपराध की सूचना देनी चाहिए, अधिमानतः 3 कार्य दिवसों के भीतर ताकि बैंक को पीड़ित द्वारा किए गए नुकसान के लिए भुगतान करने के लिए देय राशि।  इसके अलावा, मामले की देयता में भुगतान करने के लिए आप जिस अधिकतम राशि के लिए उत्तरदायी हैं, वह इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस तरह का खाता रखते हैं। ग्राहक की अधिकतम देयता उस स्थिति में जब ग्राहक 4 से 7 दिनों में धोखाधड़ी की रिपोर्ट करता है।   2: चोरी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं    यदि चोरी ऑनलाइन हो गई थी, जैसे कि किसी ने एक ऑनलाइन लेनदेन किया जिसके कारण आपका खाता डेबिट हो गया, तो अपने निकटतम साइबर सेल में शिकायत दर्ज करें।    यदि चोरी एक भौतिक उपकरण के माध्यम से की गई थी, जैसे कि आपका एटीएम कार्ड विवरण, अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें। इसके अलावा, सरकार ने शिकायत दर्ज करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (8691960000) स्थापित किया है। साथ ही, इसके लिए वेब-पेज sachet.rbi.org.in है। ऐसे ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले से बचने क

आदेश 8 नियम 6ए सीपीसी| लिखित बयान दर्ज करने के लंबे समय बाद लेकिन मुद्दों के निर्धारण से पहले दायर जवाबी दावे को रिकॉर्ड में लेने पर कोई रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

आदेश 8 नियम 6ए सीपीसी| लिखित बयान दर्ज करने के लंबे समय बाद लेकिन मुद्दों के निर्धारण से पहले दायर जवाबी दावे को रिकॉर्ड में लेने पर कोई रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट  ====+====+====+====+==== सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिखित बयान दाखिल करने के लंबे समय बाद लेकिन मुद्दों को तय करने से पहले दायर किए गए जवाबी दावे को रिकॉर्ड में लेने पर कोई रोक नहीं है। इस मामले में, लिखित बयान दाखिल करने के लगभग 13 साल बाद विचाराधीन प्रति-दावा दायर किया गया था।  बॉम्बे हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने प्रतिवादी-अपीलकर्ता द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार कर लिया था ताकि देर से दायर किए गए प्रति-दावे को रिकॉर्ड पर लिया जा सके।  हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बाद में उक्त आदेश को रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से विचार के लिए भेज दिया, अनिवार्य रूप से इस आधार पर कि वादी को जवाब दाखिल करने और प्रस्ताव के उक्त नोटिस को चुनौती देने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया था। अपीलकर्ता-प्रतिवादी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया गया मुद्दा यह था कि क्या हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रति-दावा को रिकॉर्ड पर लेने के लिए एकल न्

पेड़ की टूटी डाली से बाइक सवार की मौत, कर्नाटक हाईकोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163A के तहत कानूनी उत्तराधिकारियों का दावा स्वीकार किया

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मृतक बाइक सवार के कानूनी वारिसों की ओर से मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163 ए के तहत दायर दावा स्वीकार कर लिया। बाइक सवार की सिर पर पेड़ की डाली गिरने से मौत हो गई थी। बीमा कंपनी ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील में दलील दी थी कि दुर्घटना नीलगिरी के पेड़ की डाली गिरने के कारण हुई और इसे मोटरसाइकिल दुर्घटना के रूप में नहीं माना जा सकता है और इसलिए कंपनी मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।  हालांकि, जस्टिस एचपी संदेश की एकल पीठ ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163ए में प्रयुक्त अभिव्यक्ति 'मोटर वाहन के उपयोग से उत्पन्न' की व्यापक व्याख्या की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, "दावेदार को दावे के समर्थन में केवल यह दिखाने की आवश्यकता है कि चोट या मृत्यु, जिसे दावे का आधार बनाया गया है, वह मोटर वाहन के उपयोग से हुई है। पीठ ने मुख्य रूप से सुलोचना और अन्य में बनाम केएसआरटीसी में हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह माना गया था कि दावे के समर्थन में दावेदार ने जो कुछ दिखाया जाना चाहिए वह यह है कि चोट या म

लोकतन्त्र के सजग प्रहरी थे डाक्टर राम मनोहर लोहिया उनके जयंती पर विशेष

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सीमा हीन नैतिक अधः पतन , राजनैतिक कदाचार , देश वासियों की भीषण दुर्दशा और विश्व के विनाश के मुहाने पर पहुँच जाने के इस नाज़ुक दौर में सम्पूर्ण कौशल की सभ्यता विकसित करने वाले मनीषी , स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आधुनिक भारत की राजनीति को नयी दिशा देने वाले महान समाजवादी चिंतक डाक्टर राम मनोहर लोहिया का स्मरण हो जाना स्वाभाविक है । डाक्टर लोहिया नया समाज बनाना चाहते थे और नया मनुष्य भी । इस लिए वह सामाजिक संस्थाओं को बदलना चाहते थे और व्यक्तित्व के स्तर पर मानसिक चारित्रिक परिवर्तन भी लाना चाहते थे । उन्होंने जाति तोड़ो , ज़नेऊ तोड़ो , वंशवाद के समूल नाश और देशी भाषा तथा मुफ़्त समान शिक्षा , समान नागरिक संहिता , नर - नारी समानता एवं आर्थिक स्वतंत्रता को अपने नीतिगत कार्यक्रमों में शामिल किया था ।वह अन्यायी सरकार के बने रहने के पक्ष धर नही थे इसी लिए उन्होंने व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन के लिए सप्त क्रांति का नारा दिया था । वह चाहते थे कि देश की आम जनता अपने प्रभाव कारी और अहिंसात्मक आंदोलनों के माध्यम से अन्यायी सरकार को जब चाहे उखाड़ फेंके । इसी लिए उन्होंने प्रतिनिधि वापस करने का अधिक

नाबालिग की सहमति का महत्व नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग से शादी करने वाले POCSO आरोपी को जमानत देने से इनकार किया : इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक नाबालिग लड़की (16-17 वर्ष) से ​​बलात्कार के आरोपी व्यक्ति को उसकी सहमति से शादी करने के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया क्योंकि अदालत ने कहा कि नाबालिग की सहमति को सहमति नहीं माना जा सकता। जस्टिस साधना रानी (ठाकुर) की खंडपीठ ने कहा कि भले ही नाबालिग ने अपना घर छोड़ दिया हो, शादी कर ली हो और उसकी सहमति से आवेदक के साथ शारीरिक संबंध बना लिया हो, उसकी सहमति, नाबालिग की सहमति होने के कारण, ऐसी सहमति को महत्व नहीं दिया जा सकता। इस मामले में आरोपी (प्रवीन कश्यप) पर आईपीसी की धारा 363, 366, 376 और पॉक्सो एक्ट 2012 की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में जमानत की मांग करते हुए आवेदक-आरोपी के वकील ने प्रस्तुत किया कि नियमानुसार सीआरपीसी की धारा 161 और धारा 164 के तहत पीड़िता का बयान है कि वह एक सहमति देने वाली पक्षकार थी।  न्यायालय में पीड़िता ने कहा की वह स्वयं अपना घर छोड़कर आरोपी के साथ रहना चुना और उन्होंने शादी कर ली और पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हैं। हालांकि, अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया क्योंकि कोर्ट ने जोर देकर कहा कि घट