सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिकी के संबंध में निर्धारित कानून को फिर दोहराया और संक्षेप में जानकारी दी
सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 में दिए गए कानूनी प्रक्रिया एवम प्रावधानों को विस्तार से बताया। इसके अनुसार 1. एफआईआर /प्राथमिकी रजिस्ट्रेशन- एफआईआर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, जब प्राप्त जानकारी स्पष्ट रूप से संज्ञेय अपराध के घटित होने का खुलासा करती हो । 2. प्रारंभिक जांच- यदि प्राप्त सूचना या जानकारी स्पष्ट रूप से संज्ञेय अपराध का संकेत नहीं देती है लेकिन जांच की आवश्यकता का सुझाव देती है तो प्रारंभिक जांच की जा सकती है। हालांकि, यह जांच पूरी तरह से यह निर्धारित करने पर केंद्रित होनी चाहिए कि संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है या नहीं। ये देखना जरूरी है। 3. जांच परिणाम: यदि प्रारंभिक जांच से संज्ञेय अपराध होने का खुलासा होता है तो एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। इसके विपरीत यदि जांच यह निष्कर्ष पर पहुंचती है या निकालती है कि संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया तो संक्षिप्त कारणों सहित शिकायत को बंद करने का सारांश एक सप्ताह के भीतर सूचक या मुखबिर को तुरंत प्रदान किया जाना चाहिए। 4. पुलिस अधिकारी की जिम्मेदारी - एफआईआर दर्ज न करने पर...