गरीब अगड़ों को आरक्षण की समीक्षा करेगा SC, मगर रोक लगाने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है. हां इतना जरूर है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस फैसले की नियम-कायदों की रोशनी में समीक्षा करने का भी मूड बना लिया है. मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में लोकसभा चुनाव से पहले संविधान संशोधन के जरिए आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण का दांव चला था. हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले को कई संगठनों ने चुनौती दी है.

आरक्षण को नियम विपरीत बताने वाली इन याचिकाओं पर अब कोर्ट तीन सप्ताह के भीतर सुनवाई करेगा. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत एससी-एसटी एक्ट संशोधन बिल लाकर मोदी सरकार लोकसभा चुनाव के पहले सवर्णों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर आरक्षण का यह दांव चला था. जिसके बाद कई संगठनों ने 10 प्रतिशत आरक्षण को कोर्ट में चुनौती दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने दस प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बीते फरवरी में केंद्र को नोटिस जारी किया था. मगर, अब इस पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया. जिससे केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के इस फैसले का विरोध करने वाली सभी याचिकाओं पर तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत सुनवाई की बात कही है.

जस्टिस एसए बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि केंद्र सरकार के फैसले की समीक्षा हो सकती है. तीन सप्ताह में इसकी सुनवाई होगी. जनहित अभियान, यूथ फॉर इक्विलिटी, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया(डेमोक्रेटिक) आदि संगठनों ने 10 प्रतिशत आरक्षण को लेकर याचिकाएं दाखिल की हैं. दस प्रतिशत आरक्षण का विरोध करने वालों का कहना है कि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है.

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