जमीन रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज (mutation) न होने पर रजिस्ट्री को रद्द करवाने की समय सीमा क्या है ? जानिए कानून क्या है?

जमीन रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज (mutation) न होने पर रजिस्ट्री को रद्द करवाने की समय सीमा का सीधा उल्लेख भारतीय विधि में नहीं है, लेकिन इसे सामान्य कानूनों के तहत चुनौती दी जा सकती है। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान और केस कानून निम्नलिखित हैं:
 1. भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 (Indian Contract Act, 1872) की धारा 17 और 18 (Fraud and Misrepresentation) के तहत अगर यह साबित होता है कि रजिस्ट्री धोखाधड़ी या गलत जानकारी के आधार पर की गई है, तो इसे चुनौती दी जा सकती है।
  
Limitation Act, 1963 के अनुसार, सामान्यतः धोखाधड़ी (Fraud) के आधार पर रजिस्ट्री रद्द करवाने के लिए 3 साल की सीमा होती है। यह समय सीमा तब से शुरू होती है जब धोखाधड़ी या गलती का पता चलता है।
 2. Case Law

Suraj Lamp & Industries Pvt. Ltd. v. State of Haryana (2011) : इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि रजिस्ट्री या सेल डीड के साथ दाखिल-खारिज का संबंध केवल रिकॉर्ड अपडेट करने के लिए होता है और इसकी कमी से रजिस्ट्री की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ता।

Satya Pal Anand v. State of Madhya Pradesh (2016) : इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि रजिस्ट्री केवल ट्रांजैक्शन का प्रमाण है, और अगर दाखिल-खारिज न हो, तो इसका मतलब यह नहीं है कि रजिस्ट्री अवैध है। हालांकि, धोखाधड़ी या किसी गंभीर गलती के मामले में इसे चुनौती दी जा सकती है।

रजिस्ट्री को रद्द करवाने की समय सीमा और प्रक्रिया राज्य के भूमि रिकॉर्ड से संबंधित नियमों और परिस्थितियों पर भी निर्भर करती है।

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