जानिये वकीलों के अदालत व मुवक्किल के प्रति कर्तव्य
कानूनी पेशा, विश्व के सबसे पुराने पेशों में से एक है, और एक रूप में या दूसरे रूप में, यह सदियों से अपनी पहचान के साथ हमारे सामने रहा है। भारत में अंग्रेजों के आगमन के बाद, कानून की प्रैक्टिस के संबंध में कुछ नियम लागू किए गए थे। आजादी से पहले मुख्तार और वकील थे, जिन्हें मुफस्सिल अदालतों में कानून प्रैक्टिस करने की अनुमति थी, हालांकि वे सभी लोग, कानून में स्नातक डिग्री धारक नहीं थे। हालांकि, धीरे-धीरे ऐसे लोगों को इस पेशे से दूर किया गया और उनकी जगह उन लोगों द्वारा ली गई, जिन्हें कानून में डिग्री हासिल करने के बाद जिला स्तर पर प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गयी। ऐसे लोगों को अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया गया था, वे उच्च न्यायालय सहित उच्च न्यायालय के अधीनस्थ किसी भी अदालत में अभ्यास कर सकते थे। जब ऐसे अधिवक्ताओं की संख्या बढ़ी और कुछ हद तक इस पेशे में प्रोफेशनलिज्म बढ़ा, और फिर यह जरुरत महसूस की जाने लगी कि इन अधिवक्ताओं के सम्बन्ध में कुछ ऐसे मानक तय किये जाने चाहिए, जिनका पालन उन्हें अदालत के सामने प्रैक्टिस करने के दौरान करना चाहिए। स्वतंत्रता के बाद, वह अधिनियम आया (अधिवक्ता अधिनियम,