"जमानत देने के लिए सख्त शर्तें लगाना जमानत से इनकार करने के समान": सुप्रीम कोर्ट

"जमानत देने के लिए सख्त शर्तें लगाना जमानत से इनकार करने के समान": सुप्रीम कोर्ट 
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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि जमानत देने के लिए सख्त शर्तें लगाना जमानत से इनकार करने के समान है। कोर्ट ने कहा, "हमारा विचार है कि जमानत देने के लिए सख्त शर्तें लगाना जमानत से इनकार करने के समान है।" न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की खंडपीठ ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता को 20 लाख रुपये नकद जमा करने और जमानत के लिए 20 लाख रुपये की अचल संपत्ति को सिक्योरिटी के रूप में रखने पर जमानत देने का निर्देश दिया।  याचिकाकर्ता भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468, 471, 420 और 120बी और प्राइज चिट और धन संचलन योजना (प्रतिबंध) अधिनियम की धारा 4, 5 और 6 के तहत अपराध करने के एक आपराधिक मामले में आरोपी है। याचिकाकर्ता को उड़ीसा उच्च न्यायालय ने 25 मार्च 2021 को जमानत दी थी, जिसके अधीन उसे 20 लाख रुपये नकद जमा करने और 20 लाख रुपये की अचल संपत्ति को सिक्योरिटी के रूप में रखने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हुए उच्च न्यायालय ने निम्नलिखित और शर्तें लगाई थीं। याचिकाकर्ता को 20 लाख रुपये नकद जमा करना होगा और 20 लाख रुपये की अचल संपत्ति को सिक्योरिटी के रूप में रखने होगा। - याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल राज्य नहीं छोड़ेगा। - वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी भी गवाह को प्रलोभन, धमकी या मामले के तथ्यों से परिचित वादे के माध्यम से अदालत के समक्ष ऐसे तथ्यों का खुलासा करने या सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा। - वह मुकदमे की समाप्ति तक प्रत्येक पंद्रह दिनों में मामले के जांच अधिकारी के समक्ष रिपोर्ट करेगा।

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