भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप अपराध नहीं
लिव-इन-रिलेशनशिप अपराध नहीं
लगभग पांच वर्ष पूर्व से भारत लिव इन रिलेशनशिप की अवधारणा की शुरुवात हुई। दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड के बाद से इन दिनों हर तरफ 'लिव-इन- रिलेशनशिप' की चर्चा सार्वजनिक रूप से हो रही है। पिछले कुछ वर्षों से लिव इन रिलेशनशिप में रहने वालों की तादाद भारत में बढ़ी है, पर वे उनके अधिकारों को लेकर अनजान एवम अनभिज्ञ हैं। इस वजह से उन्हें कई बार ढेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मैं आज इस लेख के माध्यम से यह बता रहे हैं कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं के क्या-क्या अधिकार है। जो उन्हें प्राप्त हो सकता है।
रिलेशनशिप में रहने वाले दंपति को शादीशुदा का दर्जा प्राप्त साथ ही साथ गुजारा भत्ता पाने का अधिकार
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हाल ही में भारत के शीर्ष कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहना न तो अपराध है और न ही अनैतिक है। साथ ही साथ लंबे समय तक एक साथ लिव इन में रहने वाले दंपति को शादीशुदा का दर्जा दिया गया है। कोर्ट ने लिव इन पार्टनर और इस रिलेशनशिप से जन्म लेने वाले बच्चों को भी कई अधिकार दिए हैं। लिव इन में रहने वाली महिला को यदि उसका पार्टनर उसकी सहमति के बगैर एक दूसरे को छोड़ देता है तो वह कानून के अनुसार, गुजाराभत्ता पाने का अधिकार रखती है। लिव इन में पार्टनर की सहमति के बगैर अलग रहना पॉलिमेनी कहलाता है। लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को पत्नी की तरह ही पार्टनर के घर में निवास का पूरा कानूनी अधिकार है। यदि पार्टनर सहमति के बगैर उसका त्याग करता है तो वह घर में रहने का अपने अधिकार का अधिकार बखूबी इस्तेमाल कर सकती है। जरूरत पड़ने पर कोर्ट भी जा सकती है।
घरेलू हिंसा से संरक्षण
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घरेलू हिंसा (रोकथाम) अधिनियम 2005 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन में रहने वाली महिलाओं को किसी भी तरह की घरेलू हिंसा से संरक्षण प्रदान किया है। किसी भी तरह की हिंसा होने पर महिला थाने जाने के अलावा कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। जहां उसे कानून सम्मत करवाई का अधिकार प्राप्त है।
लिव इन रिलेशनशिप के दौरान जन्मे बच्चे का अधिकार
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में लिव इन रिलेशनशिप में जन्मे बच्चे को वैध शादी से जन्मे बच्चे के बराबर संपत्ति में अधिकार प्रदान किया है। इसके अलावा पार्टनर से अलग होने के बाद बच्चे को अपने पास रखने का अधिकार रखती है। लिव इन रिलेशनशिप में किसी भी बालिग को संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत अपनी मर्जी के साथी के साथ रहने की पूर्ण आजादी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस रिलेशनशिप जायज ठहराया है। साथ ही साथ वैध विवाह के सभी अधिकार प्रदान किया गया है।
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