घरेलू हिंसा मामले में पति के अधिकार और कानूनी सुरक्षा
घरेलू हिंसा मामले में पति के अधिकार और कानूनी सुरक्षा ---------------------------------------- घरेलू हिंसा अधिनियम (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) का मुख्य मकसद महिलाओं को असली हिंसा या उत्पीड़न से बचाना है, लेकिन व्यावहारिक रूप से कई बार इसका गलत फायदा पक्षकारों द्वारा उठाया जाता है। अक्सर पत्नी या पीड़िता द्वारा अपने पति या परिजनों पर झूठे या अतिरंजित इल्ज़ाम लगाकर कानूनी दबाव बनाया जाता है, ताकि रखरखाव, संपत्ति या अन्य विवादों में फायदा लिया जा सके। ऐसे हालात में पति के पास भी अपने हक और कानूनी रक्षा के विकल्प मौजूद हैं। 1. झूठे DV मामले की पहचान सबसे पहले जान लें कि DV केस आपराधिक नहीं, बल्कि सिविल प्रकृति का है। इसमें गिरफ्तारी नहीं होती; मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन पर सुनवाई होती है। कई लोग इसे क्रिमिनल मामला समझकर घबरा जाते हैं, जबकि DV एक्ट का फोकस सिर्फ सुरक्षा आदेश (Protection Order), निवास अधिकार (Residence Order) और वित्तीय मदद जैसी राहत पर है। 2. पति के मुख्य कानूनी हक A. पूर्ण सुनवाई का अधिकार पति को कोर्ट में अपना पक्ष पूरी तरह प्रस्तुत करने का हक ह...