जेल और बेल के खेल में बढ़ता न्यायिक भ्रष्टाचार
सुप्रीम कोर्ट ने अरनेश कुमार मामले में कहा था कि अगर पुलिस तय प्रक्रिया का पालन नहीं करती तो अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाए. ऐसी व्यवस्था को केन्द्र सरकार सभी राज्यों में पुलिस सुधार के माध्यम से क्यों नहीं लागू कराती?
जेल और बेल के खेल में बढ़ता न्यायिक भ्रष्टाचार
-------------------------------------------------------------------
वर्ष 2015 में देशभर में 12 लाख लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा-41 का विश्लेषण करते हुए वर्ष-2014 में कहा था कि सात साल की सजा वाले मामलों में सिर्फ एफआईआर दर्ज होने पर गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अभियुक्त को छानबीन के लिए तभी गिरफ्तार करना चाहिए, जब दोबारा अपराध की आशंका या गवाहों को धमकाने का अंदेशा हो. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मुकदमों के दौरान हर आरोपी की अदालत में उपस्थिति अनिवार्य नहीं होनी चाहिए तथा बेल मामलों पर अदालत द्वारा उसी दिन सुनवाई होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कृष्णा अय्यर द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार बेल नियम हैं और जेल अपवाद. बढ़ते न्यायिक भ्रष्टाचार से रसूखदारों को बेल और असहाय जेल का शिकार है, जैसा कि एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों से साबित होता है.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें