पिता के घर रह रही घरेलू हिंसा से पीड़ित पत्नी को भी अलग मकान पाने का हक: कोर्ट
घरेलू हिंसा मामले की पीड़िता को केवल इस आधार पर पति से अलग रहने के लिए मकान के अधिकार से वंचित नहीं जा सकता क्योंकि अपने माता-पिता के घर पर रह रही है। यह टिप्पणी सत्र अदालत ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए की है।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने महिला की उस अर्र्जी को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने पति से 12 हजार रुपये महीना मकान किराया दिलाने की मांग की थी। साकेत जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लोकेश कुमार शर्मा ने मजिस्ट्रेट कोर्ट को महिला की अर्जी पर नये सिरे से विचार करने के लिए कहा है।
सत्र अदालत ने कहा कि घरेलू हिंसा की पीड़िता के अधिकार की रक्षा को सामाजिक भलाई के तौर पर अदालत को देखना चाहिए। अदालत ने कहा कि अगर महिला अपने सामाजिक स्तर का कोई रिकॉर्ड पेश नहीं कर पाई तो भी अदालत उसके लिए अलग मकान के लिए राशि तय कर सकती है।
यह कानून महिलाओं को भूखमरी व बेघर होने से बचाने के लिए व समाज में उनका रहन सहन का स्तर कायम रखने के लिए है। पीड़िता के मुताबिक उसका पति उसे शारीरिक, मानसिक, मौखिक व भावनात्मक तौर पर प्रताड़ित करता था।
इसके बाद उसने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दायर की थी। अपनी नाबालिग बच्ची के साथ माता पिता के घर पर रह रही पीड़िता ने पति से अलग मकान दिलाने की भी मांग की थी।
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