लोकतन्त्र के सजग प्रहरी थे डाक्टर राम मनोहर लोहिया उनके जयंती पर विशेष


सीमा हीन नैतिक अधः पतन , राजनैतिक कदाचार , देश वासियों की भीषण दुर्दशा और विश्व के विनाश के मुहाने पर पहुँच जाने के इस नाज़ुक दौर में सम्पूर्ण कौशल की सभ्यता विकसित करने वाले मनीषी , स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आधुनिक भारत की राजनीति को नयी दिशा देने वाले महान समाजवादी चिंतक डाक्टर राम मनोहर लोहिया का स्मरण हो जाना स्वाभाविक है ।
डाक्टर लोहिया नया समाज बनाना चाहते थे और नया मनुष्य भी । इस लिए वह सामाजिक संस्थाओं को बदलना चाहते थे और व्यक्तित्व के स्तर पर मानसिक चारित्रिक परिवर्तन भी लाना चाहते थे । उन्होंने जाति तोड़ो , ज़नेऊ तोड़ो , वंशवाद के समूल नाश और देशी भाषा तथा मुफ़्त समान शिक्षा , समान नागरिक संहिता , नर - नारी समानता एवं आर्थिक स्वतंत्रता को अपने नीतिगत कार्यक्रमों में शामिल किया था ।वह अन्यायी सरकार के बने रहने के पक्ष धर नही थे इसी लिए उन्होंने व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन के लिए सप्त क्रांति का नारा दिया था । वह चाहते थे कि देश की आम जनता अपने प्रभाव कारी और अहिंसात्मक आंदोलनों के माध्यम से अन्यायी सरकार को जब चाहे उखाड़ फेंके । इसी लिए उन्होंने प्रतिनिधि वापस करने का अधिकार माँगा था , उनका ही चमत्कार था कि ग़ैर कांग्रेस वाद का नारा बुलंद हुआ और 11प्रांतो में ग़ैर कांग्रेसी सरकार का गठन 1967में हुआ था । उनका मानना था कि सत्य को किसी एक पहलू या कोण से ही जाना जा सकता है । इसका अर्थ यह नही कि सत्य आंशिक होता है । सत्य या तो पूर्ण होता है या वह सत्य नही होता है । अन्याय के विरुद्ध आंदोलन , प्रदर्शन , घेराव और सत्याग्रह तथा सविनय अवज्ञा , फावड़ा और हल उनके शस्त्र थे । वे स्वयं नेतृत्व करते थे और जेल जाते थे ।देश में जब तक राजनीतिक , आर्थिक और सामाजिक , शैक्षणिक विषमता बनी रहेगी सत्ता और सम्पत्ति का विकेंद्री करण नही हो जाता डाक्टर लोहिया की प्रासंगिकता बनी रहेगी ।
आज डाक्टर राम मनोहर लोहिया जी की पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ।

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